"ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग" एक प्रोग्रामिंग पैरडाइम है जो कोड को विभिन्न ऑब्जेक्ट्स की तरह संरचित करने और प्रोसेस करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस प्रोग्रामिंग पैरडाइम में, सभी डेटा और उनके साथ संबंधित फ़ंक्शनलिटी एक ही इकाई, जिसे "ऑब्जेक्ट" कहा जाता है, में आवेदित होती है।
ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग की मुख्यता है कि यह प्रोग्रामिंग कोड को बेहतर संरचित करने में मदद करता है, क्योंकि इसमें कोड को विभिन्न ऑब्जेक्ट्स या इकाइयों में विभाजित किया जाता है, जो अपने आप में स्थित होते हैं और अपनी खुद की स्थिति और फ़ंक्शनलिटी रखते हैं।
ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग में, हर ऑब्जेक्ट डेटा और उसके साथ संबंधित फ़ंक्शनलिटी को एक ही इकाई में एनकैप्सुलेट करता है, जिससे डेटा की एक्सेसिबिलिटी को कंट्रोल किया जा सकता है और डेटा की सुरक्षा बढ़ती है।
इस पैरडाइम में, विभिन्न ऑब्जेक्ट्स को एक दूसरे के साथ इंटरैक्ट करने की क्षमता दी जाती है, जिससे वे एक अनुप्रयोग का हिस्सा बनते हैं और मिलकर काम करते हैं। इसके अलावा, ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग डेटा के पुनर्निर्माण को सुनिश्चित करने के लिए इनहेरिटेंस (आवारणशीलता) और पॉलीमॉर्फिज़म (बहुरूपता) के कांसेप्ट का भी प्रयोग करता है।
"ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग" एक प्रोग्रामिंग पैरडाइम है जो कोड को विभिन्न ऑब्जेक्ट्स की दृष्टि से संरचित करता है। इस पैरडाइम में, प्रोग्राम को अलग-अलग ऑब्जेक्ट्स की तरह डिज़ाइन किया जाता है, जिनमें हर ऑब्जेक्ट का अपना स्वतंत्रता और विशेषता होती है। ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग का मुख्य उद्देश्य कोड को अधिक संरचित, दुरुस्त और पुनर्यापन्न करना होता है।
इस प्रोग्रामिंग पैरडाइम में, डेटा और उसकी प्रोसेसिंग को एक ही एकत्रित इकाई में देखा जाता है जिसे "ऑब्जेक्ट" कहा जाता है। इन ऑब्जेक्ट्स के साथ काम करने के लिए क्लासेस का उपयोग किया जाता है, जिसमें ऑब्जेक्ट्स की विशेषताएँ और क्रियाएँ दर्शाई जाती हैं। यह क्लासेस उन टेम्पलेट्स की तरह होती हैं जिनमें डेटा और उसकी उपयोगिता के बारे में जानकारी होती है।
ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग के मुख्य लाभों में शामिल होते हैं रियुज़ेबिलिटी, मोड्यूलरिटी, रियुज़ेबल कोड, डेटा और कोड की छुपी तरीके से एकीकरण, और प्रोजेक्ट्स के मैनटेनेंस को सरल बनाने वाली क्षमता होती है।
"ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग" एक प्रोग्रामिंग पैरडाइम है जो सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट में उपयोग होता है। इस पैरडाइम में, प्रोग्राम को अदिकांश अद्यतित डेटा स्ट्रक्चर्स, जिन्हें "ऑब्जेक्ट्स" कहा जाता है, के आधार पर डिज़ाइन और विकसित किया जाता है।
ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग में, हर ऑब्जेक्ट डेटा और उसके साथ जुड़े फ़ंक्शन्स का संयोजन होता है, जो कि उस ऑब्जेक्ट की प्रक्रियाएँ और आवश्यकताओं को प्रक्रियाओं में रूपांतरित करते हैं। इसमें एक ऑब्जेक्ट अपनी स्वतंत्रता रखता है और अपने स्थानिक डेटा को छिपाकर उसके साथ जुड़े फ़ंक्शन्स के साथ काम करता है।
ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग के मुख्य तत्वों में इनकप्सुलेशन (Encapsulation), इन्हेरिटेंस (Inheritance), और पॉलिमॉर्फिज़म (Polymorphism) शामिल हैं। यह प्रोग्रामिंग पैरडाइम कोड को स्ट्रक्चर्ड, मैनटेनेबल, और मोड्यूलर बनाता है, जिससे सॉफ़्टवेयर के विकास में बेहतर गुणवत्ता और पुनर्निर्माण की दिशा में मदद मिलती है।
ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग का उदाहरण जवा, पायथन, सी++, सी# आदि प्रोग्रामिंग भाषाओं में देखा जा सकता है।
"ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग" एक प्रोग्रामिंग परिदिग्धता है जो किसी भी सॉफ़्टवेयर या एप्लिकेशन को विभिन्न ऑब्जेक्ट्स की संयोजन के रूप में व्यवस्थित करने के लिए उपयोग किया जाता है। इस तरीके के प्रोग्रामिंग में, सॉफ़्टवेयर को रूपांतरित किया जाता है जिसमें हर कोड एक या उससे अधिक ऑब्जेक्ट्स (वस्तुएँ) के रूप में आयोजित होते हैं जो एक-दूसरे के साथ इंटरैक्ट करते हैं।
ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग के मूल तत्वों में शामिल होते हैं:
1. **क्लासेस और ऑब्जेक्ट्स:** क्लास एक डेटा टाइप की परिभाषा होती है जिसमें डेटा और उसके साथ-साथ उस डेटा पर काम करने वाली फ़ंक्शनों की विशेषताएँ शामिल होती हैं। ऑब्जेक्ट्स उन क्लासों के वास्तविक प्रतिनिधित्व करते हैं और क्लास के द्वारा परिभाषित डेटा और फ़ंक्शनों का उपयोग करते हैं।
"क्लासेस और ऑब्जेक्ट्स" ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग के महत्वपूर्ण माध्यम होते हैं, जिनका उपयोग सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट में किया जाता है।
**क्लास (Class):** क्लास एक डेटा टाइप की परिभाषा होती है जो डेटा और उसके साथ-साथ उस डेटा पर काम करने वाली फ़ंक्शनों की विशेषताएँ शामिल करती है। क्लास एक टेम्पलेट की भूमिका निभाती है जिससे ऑब्जेक्ट्स की तरह नए डेटा टाइप्स बनाए जा सकते हैं। क्लास में डेटा की विशेषताएँ और उसके लिए काम करने वाले फ़ंक्शनों की परिभाषा होती है, लेकिन ये डेटा स्वयं नहीं होते, बल्कि उनकी परिभाषा की जाती है कि जब उन्हें ऑब्जेक्ट के रूप में इंस्टैंसिएट किया जाए, तो वे कैसे दिखेंगे और कैसे काम करेंगे।
**ऑब्जेक्ट्स (Objects):** ऑब्जेक्ट्स उन क्लासों के वास्तविक प्रतिनिधित्व करते हैं जो क्लास के द्वारा परिभाषित डेटा और फ़ंक्शनों का उपयोग करते हैं। जब हम एक क्लास से एक ऑब्जेक्ट बनाते हैं, तो हम उस क्लास के द्वारा परिभाषित विशेषताओं का उपयोग कर सकते हैं और उसके द्वारा परिभाषित फ़ंक्शनों को कॉल कर सकते हैं। ऑब्जेक्ट्स अलग-अलग डेटा या स्थितियों को प्रतिनिधित करने में मदद करते हैं और इनके माध्यम से डेटा को संरचित रूप में प्रोसेस किया जा सकता है।
ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग में, क्लासेस और ऑब्जेक्ट्स का उपयोग सॉफ़्टवेयर को अधिक संरचित और मानव-संवादी बनाने के लिए किया जाता है, जिससे प्रोग्रामिंग को अधिक स्वयंसमर्थ और प्रबल बनाया जा सकता है।
2. **इन्हेरिटेंस (विरासत):** इसके द्वारा एक क्लास दूसरे क्लास की विशेषताओं को अनुवांशिक रूप में उपयोग कर सकती है।
"इन्हेरिटेंस" एक ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग की प्रमुख विशेषता है जिसका उपयोग एक क्लास से दूसरे क्लास की विशेषताएँ और फ़ंक्शनों को वारिस्त बनाने में किया जाता है। इसका मतलब होता है कि एक क्लास अपने पैरेंट क्लास (जिसे बेस क्लास या सुपर क्लास भी कहा जाता है) की विशेषताओं और फ़ंक्शनों को विरासत में पाता है और उन्हें अपने क्लास में पुनर्निर्भर करता है।
इन्हेरिटेंस का उपयोग इसे सुनिश्चित करने में किया जाता है कि अगर किसी बेस क्लास में किसी विशेषता या फ़ंक्शन का पुनर्निर्भरित बदलाव होता है, तो उसकी सभी डेराइव्ड क्लासेस (जिन्होंने उसे वारिस्त किया है) में भी यह बदलाव प्रभावित हो। यह प्रोग्रामिंग को मेंटेनेबल और एकसेसिबल बनाता है क्योंकि एक ही बदलाव को बेस क्लास और उसकी सभी डेराइव्ड क्लासेस में अपनाया जा सकता है, बिना हर डेराइव्ड क्लास में उसे अलग से लागू करने की आवश्यकता।
इन्हेरिटेंस के उपयोग से कोड की दोहरीकरणी कम होती है और सॉफ़्टवेयर को मोड्यूलर बनाते हैं, जिससे प्रोग्रामिंग को अधिक प्रबल बनाया जा सकता है। यह प्रोग्रामिंग की बेहतर स्ट्रक्चर और ओर्गनाइजेशन प्रदान करने में मदद करता है और कोड की पुनर्योजनीयता को भी सुनिश्चित करता है।
3. **पॉलीमोर्फिज़म:** इसके द्वारा एक ही नाम के फ़ंक्शन को विभिन्न तरीकों से विभिन्न डेटा टाइप्स पर अनुभव किया जा सकता है।
"पॉलीमोर्फिज़म" एक ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग का महत्वपूर्ण सिद्धांत है जिसका मतलब होता है "एक ही नाम के फ़ंक्शन को विभिन्न डेटा टाइप्स पर अनुभव किया जा सकता है।" यानी, एक फ़ंक्शन को उसके द्वारा विशिष्ट डेटा टाइप के हिसाब से अनुकूलित किया जा सकता है, जिससे वो विभिन्न तरीकों से व्यवहार कर सके।
पॉलीमोर्फिज़म का उपयोग कोड की दोहरीकरणी को कम करने और कोड को मोड्यूलर बनाने में किया जाता है। इससे कोड की पुनर्योजनीयता बढ़ती है क्योंकि एक ही नाम के फ़ंक्शन को विभिन्न तरीकों से व्यवहार करने की स्वामित्वता होती है, बिना कि हमें उनको अलग-अलग नामों से बुलाना पड़े।
पॉलीमोर्फिज़म का एक प्रमुख उदाहरण पोलीमॉर्फिक फ़ंक्शन होता है, जिसमें एक ही नाम के फ़ंक्शन को विभिन्न डेटा टाइप्स पर लागू किया जा सकता है, और उन्हें उनके आवश्यकतानुसार व्यवहार करने में मदद मिलती है। इससे कोड की सामर्थ्य बढ़ती है और कोड को अधिक पारदर्शी बनाता है, क्योंकि एक ही नाम के फ़ंक्शन को विभिन्न डेटा टाइप्स के साथ उपयोग किया जा सकता है।
4. **एनकैप्सुलेशन:** इससे क्लास की विशेषताएँ और उसकी अंतर्निहित विशेषताएँ दूसरे को प्रकट नहीं होती हैं, जिससे सुरक्षितता और मानकीकरण बना रहता है।
"एनकैप्सुलेशन" एक ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग का महत्वपूर्ण सिद्धांत है जिसका मतलब होता है "डेटा और फ़ंक्शनों को एक क्लास में संग्रहित करने और उनकी दिशा-निर्देशित पहुँच को सीमित करना।" एनकैप्सुलेशन का उपयोग इस दिशा में किया जाता है कि केवल क्लास के आंतरिक विशेषताओं और फ़ंक्शनों को ही उपयोगकर्ता के लिए दिखाया जाए और उसके बाकी हिस्सों को छिपाया जाए।
एनकैप्सुलेशन के माध्यम से डेटा की सुरक्षा बढ़ती है क्योंकि केवल क्लास के आंतरिक फ़ंक्शनों को ही उपयोगकर्ता द्वारा एक्सेस किया जा सकता है, और बाकी डेटा प्राइवेट रहता है। यह उपयोगकर्ताओं को डेटा के साथ-साथ उसके संदर्भ और प्रयोग के साथ सिर्फ वही फ़ंक्शनों और विशेषताओं को देखने की अनुमति देता है जो क्लास द्वारा प्रदान किए गए हैं।
एनकैप्सुलेशन का एक और महत्वपूर्ण फायदा यह होता है कि जब कोड में किसी विशेषता या फ़ंक्शन में बदलाव किया जाता है, तो उसका प्रभाव केवल उस क्लास के आंतरिक उपयोगकर्ता के लिए होता है और यह अन्य कोड को प्रभावित नहीं करता, जिससे कोड की स्थिरता बनी रहती है।
ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग का उद्देश्य कोड की पुनर्योजनीयता, विशिष्टता, और सुरक्षा को बढ़ावा देना होता है, जो बड़े और जटिल सॉफ़्टवेयर प्रोजेक्ट्स को संचालन करने में मदद करता है।

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